मध्यप्रदेश में 11 मई, 2020 से FIR आपके द्वार FIR aapke dwar सेवा की शुरुआत की गई। इसके तहत डायल 100 पर सूचना देने के बाद रिपोर्ट दर्ज करने के लिए पुलिस के घर पर आने का प्रावधान किया गया है। इस सेवा के शुरू होने के बाद लोगों को यह सुविधा हो गई कि उन्हें छोटी-मोटी घटनाओं के लिए अब थाना या पुलिस स्टेशन जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। उन्हें सिर्फ गंभीर अपराधों में ही थाना जाना होगा। इस योजना की नियमित अंतराल पर समीक्षा का प्रावधान रखा गया है। यदि समीक्षा संतोषजनक रहती है तो इसके बाद ही इसे सारे मध्य प्रदेश में लागू किया जाएगा। बता दें कि यह मध्य प्रदेश सरकार की एक महत्वाकांक्षी योजना है।
पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर तीन महीने के लिए शुरू की गई एमपी FIR आपके द्वार योजना – इस सेवा को पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर 3 महीने के लिए शुरू किया गया था। शुरू में इसे राज्य के कुछ ही जिलों में आरंभ किया गया। पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) विवेक जौहरी ने बाद में इस प्रोजेक्ट को 31 अगस्त तक जारी रखने और इसके बाद इसकी समीक्षा और नतीजों का analysis कर कामयाब रहने की दशा में पूरे प्रदेश में लागू किए जाने की बात कही। इस प्रोजेक्ट के लिए प्रशिक्षित हेड कांस्टेबल तैनात किए गए हैं। ऐसा इसलिए किया गया है, ताकि वह शिकायतकर्ता से बेहतर बर्ताव करें और एफआईआर दर्ज करने में संवेदनशीलता बरते। अमूमन पुलिस वालों के रूखे और उपेक्षात्मक व्यवहार को लेकर लोगों के बीच असंतोष देखने को मिलता है। इस मामले में ऐसा न हो, इसे लेकर पुलिस कर्मियों को खास तौर पर प्रशिक्षित किया गया है।
एमपी FIR आपके द्वार योजना के लाभ क्या क्या हैं? What are the benefits of FIR at Your Door Scheme अभी हमने आपको एमपी FIR आपके द्वार योजना क्या है, इस संबंध में जानकारी दी। अब हम आपको बताएंगे कि इससे नागरिकों को क्या-क्या लाभ है। लोगों को सरकार के इस कदम से सबसे बड़ा लाभ यह होगा कि उन्हें थाने के चक्कर मारने से छुटकारा मिल जाएगा। इस सेवा का दूसरा बड़ा फायदा यह होगा कि एक कॉल पर लोगों की FIR. लिखी जाएगी। ऐसा होने से उनके समय की बचत होगी। काल और एफआईआर से सारा ब्योरा रिकॉर्ड में रहेगा। महिलाओं और वरिष्ठ नागरिकों को खास तौर पर इस सेवा से सुविधा होगी। वह घर बैठे अपनी शिकायत दर्ज करा सकेंगे।इसके अलावा एफआईआर दर्ज होते ही मामले में त्वरित कार्रवाई संभव हो सकेगी। आपको बता ही चुके हैं कि गंभीर अपराधों के मामले में एफआईआर कराने के लिए थाने ही जाना पड़ेगा। लेकिन दोस्तों, एक बात तो तय है कि छोटे-मोटे अपराधों की संख्या भी बहुत होती है। मामले में तुरंत FIR हो जाने से ऐसे मामलों के जल्द खुलने की संभावना भी ज्यादा है। दूसरे, लोग पुलिस थानों आदि की छवि खराब होने के चलते वहां जाने से डरते हैं। कतराते हैं। इसमें बहुत हद तक बॉलीवुड का भी हाथ है। अक्सर फिल्म निर्माता इस तरह की फिल्मों को तरजीह देते हैं, जिसमें आम आदमी की थानों में नहीं सुनी जाती। वहां की बदतर हालत को फिल्मों में अक्सर प्रदर्शित किया जाता है, जिनकी वजह से थानों की छवि खराब होती है। और आम आदमी वहां जाने से बचता है यही वजह है कि छोटे-मोटे मामले सामने आते हैं तो आम आदमी एफआईआर कराने से परहेज करता है।
संभागीय मुख्यालयों के एक शहरी, एक ग्रामीण थाने में लागू- ‘FIR आपके द्वार’ सेवा का शुभारंभ मध्य प्रदेश के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा और डीजीपी विवेक जौहरी ने किया। इस सेवा को 10 संभागीय मुख्यालयों और दतिया में शुरू किया गया है। इसे संभागीय मुख्यालयों के एक शहरी और एक ग्रामीण थाना में लागू किया गया है। इन 10 संभागीय मुख्यालयों में भोपाल, ग्वालियर, चंबल, इंदौर, जबलपुर, रीवा, सागर, शहडोल और उज्जैन संभाग के अलावा दतिया गैर संभागीय मुख्यालय शामिल है। दतिया मध्य प्रदेश के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा का गृह जिला है। भोपाल शहरी में जवाहर चौक थाना और ग्रामीण बैरसिया आता है। गृह जिला होने के नाते दतिया पर गृह मंत्री की खास निगाह भी रहती है। अपराध की बात करें तो दतिया जिला भी कोई कम औकात नहीं रखता। यह बहुत समय तक उत्तर प्रदेश का हिस्सा रहा है। ऐसे में यह उत्तर प्रदेश में अपराध कर मध्य प्रदेश में छिपने वाले अपराधियों के लिए भी एक माकूल आरामगाह साबित हुआ है।
सेवा के तहत इन मामलों को किया गया शामिल
एमपी FIR आपके द्वार योजना के तहत गाड़ी चोरी, गाली गलौज, हंगामा या फिर दूसरी छोटी घटनाएं शामिल की गई है। गंभीर अपराधों के साथ ही अन्य मामलों की जानकारी लोग डायल 100 पर देंगे। इसके पश्चात पुलिस की फर्स्ट रिस्पांस व्हीकल (FRV) उनके घर पहुंच जाएगी। दोस्तों, आपको बता दें कि इस सेवा की शुरुआत के मौके पर गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने एक एफआरवी वाहन को रवाना भी किया।
पहली FIR भोपाल के सुनील चतुर्वेदी ने दर्ज कराई- मध्यप्रदेश ‘FIR आपके द्वार’ सेवा की शुरुआत करने वाला पहला राज्य है। इस सेवा के तहत पहली FIR भोपाल के सुनील चतुर्वेदी ने दर्ज करवाई। जवाहर चौक पर रहने वाले सुनील चतुर्वेदी की कार चोरी हो गई थी। पुलिस की टीम उनकी शिकायत पर उनके घर पहुंची और मामला दर्ज किया। सुनील ने इस सेवा को लोगों की सुविधा के हिसाब से बेहतरीन करार दिया।
मध्य प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में अपराध का ग्राफ ऊंचा – उत्तर प्रदेश की ही तरह मध्यप्रदेश में भी कई सारे ऐसे जिले हैं, जो अपराध के मामले में आगे हैं। खासतौर पर ग्रामीण क्षेत्रों में अपराध का ग्राफ ऊंचा है। वहां भी पश्चिम उत्तर प्रदेश की ही तरह जमीन संबंधी रंजिशों के मामले सबसे ऊपर हैं। हत्या, गैर इरादतन हत्या जैसे मामलों की भी खासी संख्या रहती है। इसके अलावा फिरौती, लूट, छिनैती जैसी घटनाओं की संख्या भी कम नहीं। दोस्तों, बात अपराध की चल निकली है तो आपको यह भी बता दें कि डकैतों के लिए मशहूर चंबल घाटी भी मध्य प्रदेश में है। कभी यहां के डाकुओं के आतंक से घाटी के आसपास के इलाके के लोग कांपा करते थे। मशहूर महिला डाकू और बाद में सांसद बनीं फूलन देवी का नाम कौन नहीं जानता। इसके अलावा डाकू मलखान सिंह, डाकू मान सिंह, कुसुमा नाइन आदि के नाम आतंक के पर्याय बने रहे।
अपराध के मामले में मध्य प्रदेश पड़ोसी राज्यों से भी आगे= आपराधिक मामलों में मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ ही नहीं कई राज्यों से आगे है। हाल ही में आए एनसीआरबी के ताजा आंकड़ों में सामने आया था कि मध्य प्रदेश में सबसे ज्यादा आपराधिक मामले सामने आते हैं। हालात आप इसी बात से समझ सकते हैं कि मध्यप्रदेश में कुल अपराधों की संख्या 2,68,614 है, जबकि छत्तीसगढ़ में इससे कई गुना कम 56,692 कुल आपराधिक मामले सामने आए हैं। वहीं, महिला अपराधों में बीते साल कुल 24,135 मामले मध्य प्रदेश में दर्ज किए गए हैं। जबकि छत्तीसगढ़ में केवल 5,720 मामले सामने आए हैं।
उत्तर प्रदेश में आनलाइन एफआईआर सुविधा- उत्तर प्रदेश में FIR ऑनलाइन दर्ज कराने की सुविधा दी गई है। इस सुविधा को गाजियाबाद जिले से शुरू किया गया था। इतना ही नहीं, प्रदेश में एफआईआर स्टेटस ऑनलाइन चेक करने की भी सुविधा दी गई है। लेकिन पुलिस के घर पहुंचकर FIR. करने की सुविधा नहीं दी गई है। जबकि वहां गाजियाबाद, बागपत, मुजफ्फरनगर सहारनपुर जैसे जिले हैं, जो कि क्राइम के मामले में हमेशा टाप पर रहते हैं। और जहां घर बैठे एफआईआर. कराने की सुविधा से लोगों को बहुत फायदा हो सकता है। इसलिए मध्य प्रदेश की एफआईआर आपके द्वार सेवा को एक अति महत्वपूर्ण सेवा माना जा सकता है। इसके लिए मध्य प्रदेश सरकार की सोच को साधुवाद दिया जाना चाहिए। उसका यह कदम सीधे जनहित से जुड़ा कदम है। कई बार आपने देखा होगा कि छोटे मोटे मामले में व्यक्ति तुरंत एफआईआर नहीं कराता या फिर वह थाना कचहरी के नाम से इतना डरता है कि एफआईआर कराने से बचता रहता है। पुलिस के खुद एफआईआर लिखने के लिए पहुंचने से उसका यह डर भी दूर हो जाएगा।
मध्य प्रदेश में 55 जिले, कानून व्यवस्था चुनौती- मध्य प्रदेश में इस वक्त 55 जिले हैं। जबकि 1956 में जबकि मध्य प्रदेश का गठन हुआ था उस वक्त राज्य में केवल 43 जिले थे। दोस्तों, आपको यह भी बता दें कि 55 जिले 10 संभागों में बैठे हैं। इससे साफ देखा जा सकता है कि इन जिलों में पुलिस और प्रशासनिक व्यवस्था कायम करना कतई आसान काम नहीं है। इसके बावजूद FIR आपके द्वार योजना शुरू करके नागरिकों को कम से कम घर बैठे एफआईआर की सुविधा सरकार की ओर से उपलब्ध कराई गई है। तमाम जानकार इस कदम को एक अच्छा कदम बताते हैं।
Comments
Post a Comment