राष्ट्रीय गोकुल मिशन की सरकारी पहल
केंद्र सरकार ने 28 जुलाई 2014 को स्वदेशी गायों के संरक्षण और नस्लों के विकास को वैज्ञानिक तरीके से प्रोत्साहित करने के लिए राष्ट्रीय गोकुल मिशन (राष्ट्रव्यापी योजना) की शुरुआत की. यह मिशन राष्ट्रीय पशु प्रजनन एवं डेयरी विकास कार्यक्रम (एनपीबीबीडीडी) पर केन्द्रित परियोजना है
इसकी विषेशता इस प्रकार है= 500 करोड़ रुपये की लागत वाले इस मिशन को देशभर में लागू करने के लिए कार्ययोजना तैयार की जा रही है। राष्ट्रीय गोकुल मिशन के तहत एक हजार गाय पालने वाले सगठनों तथा आश्रमों को सरकार केंद्रीय सहायता देगी।लेकिन इसमें शर्त यह होगी कि 40 प्रतिशत गायें बिना दूध देने वाली बूढ़ी व बीमार होनी चाहिए और 60 प्रतिशत दुधारु होनी चाहिए। मिशन के तहत गौपालन के लिए छतदार आवास, पानी, साफ-सफाई आदी शर्तो का पालन संस्थाओं को करना होगा।
योजना के तहत धन का आवंटन इस प्रकार किया जाएगा
एकीकृत स्वदेशी पशु केंद्र जैसे गोकुल ग्राम की स्थापना.
उच्च आनुवांशिक योग्यता वाले स्वदेशी नस्लों के संरक्षण के लिए बुल मदर फार्म्स को मजबूत बनाना.
प्रजनन तंत्र में क्षेत्र प्रदर्शन रिकॉर्डिंग (एफपीआर) की स्थापना.
सर्वश्रेष्ठ जर्मप्लाज्म को रखने वाले संस्थानों/ संगठनों को सहायता देना .
बड़ी आबादी के साथ स्वदेशी नस्लों के लिए वंशावरी चुनाव कार्यक्रम का कार्यान्वयन.
ब्रीडर्स सोसायटी: गोपालन संघ की स्थापना.
प्राकृतिक सेवाओँ के लिए उच्च आनुवंशिक योग्यता वाले रोगमुक्त सांडों का वितरण.
स्वदेशी नस्लों के कुलीन पशुओं को रखने वाले किसानों को प्रोत्साहन.
बछिया पालन कार्यक्रम, किसानों को पुरस्कार (गोपाल रत्न) और ब्रीडर्स सोसायटी (कामधेनु).
स्वदेशी नस्लों के लिए दुग्ध उत्पादन प्रतियोगिता का आयोजन.
स्वदेशी पशु विकास कार्यक्रम संचालित करने वाले संस्थानों में काम करने वाले तकनीकी और गैर–तकनीकी लोगों के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन.
मिशन के उद्देश्य= स्वदेशी नस्लों का विकास और संरक्षण.
स्वदेशी पशु नस्लों के लिए नस्ल सुधार कार्यक्रम शुरु करना ताकि अनुवांशिक सुधार और पशुओं की संख्या में वृद्धि की जा सके.
दूध उत्पादन और उत्पादकता को बढ़ाने के लिए.
नॉन–डेसक्रिप्ट पशुओं का गीर, साहीवाल, राठी, देउनी, थारपारकर, रेड सिन्धी और अन्य कुलीन स्वदेशी नस्लों के जरिए अपग्रेडेशन करना.
प्राकृतिक सेवाओँ के लिए उच्च आनुवंशिक योग्यता वाले सांडों का वितरण.
इस परियोजना के लिए सरकार ने वित्त वर्ष 2014–15 में 150 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं. जबकि, 12वीं पचवर्षीय योजना में इस कार्यक्रम पर 500 करोड़ रुपये खर्च किए जाने हैं.
गोकुल ग्राममिशन के तहत स्वदेशी पशु केंद्रों या गोकुल ग्राम की स्थापना स्वदेशी नस्लों के प्रजनन इलाकों में की जाएगी. गोकुल ग्राम की स्थापना पीपीपी मॉडल के तहत की जाएगी और इसकी स्थापना.
देशी प्रजनन इलाकों में और शहरी पशु आवास के लिए महानगरों के निकट की जाएगी.
गोकुल ग्राम किसानों के लिए प्रशिक्षण केंद्र में आधुनिक सुविधाएं प्रदान करेगा. मेट्रोपोलिटन गोकुल ग्राम का केंद्र शहरी पशुओं के आनुवांशिक उन्नयन पर होगा.
इस स्कीम मे रजिस्ट्रेशन और लाभ- इस स्कीम से जुड़ने और इसके लाभ पाने के लिए आप ‘राष्ट्रीय पशु प्रजनन एवं डेयरी विकास कार्यक्रम’ के तेहत रजिस्ट्रेशन कराकर गौ सेवा में अग्रसर हो सकते है। इस स्कीम से जुड़ने और जानकारी प्राप्त करने के लिए नीचे कुछ लींक दिए जा रहे है।
राष्ट्रीय गोकुल मिशन का आर्थिक परिप्रेक्ष्य गोकुल ग्राम एक संस्थान होगा जो निम्नलिखित चीजों की बिक्री के जरिए आर्थिक संसाधन पैदा करेगा.
दूध, जैविक खाद, केंचुआ–खाद, मूत्र डिस्टिलेट, घरेलू खपत के लिए बायो गैस से बिजली का उत्पादन, पशु उत्पादों की बिक्री
ये गतिविधियां गोकुल ग्रामों को आत्मनिर्भर संगठन बनाएंगी.
पशुओं को बीमारियों से मुक्त कैसे रखा जाएगा?
नस्लों को बीमारी मुक्त रखने के लिए जानवरों को जीडी, टीबी और ब्रूसीलोसिंस जैसी बीमारियों से बचाने के लिए नियमित जांच की जाएगी. इसके अलावा, गोकुल ग्राम में एक डिस्पेंसरी और एआई केंद्र भी होगा।
main website
http://www.dahd.nic.in/dahd/schemes/dairy-development.aspx
http://www.dahd.nic.in/dahd/WriteReadData/Concept%20Note%20Rashtriya%20Gokul%20Mission.pdf
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