छत्तीसगढ़ राज्य की इस नई योजना के तहत बनाई जाने वाले समूहों के माध्यम से ही वनोपज की खरीदी, उसका प्रसंस्करण (Processing) एवं मार्केटिंग की व्यवस्था सुनिश्चित की जाएगी। योजना के तहत बनाए जाने वाले इन समूहों के माध्यम से वनवासियों के स्वरोजगार और उनकी समृद्धि के नए द्वारा खुलेंगे। छत्तीसगढ़ राज्य में पहले 7 प्रकार के लघु वनोपज की खरीदी होती थी जिसे अब बढ़ाकर 31 कर दिया है। इंदिरा वन मितान योजना (Indira Van Mitan Yojana) छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा शुरू की जा रही एक नई योजना है जिसके तहत राज्य में वनवासियों के विकास के लिए कई कार्य किए जाएँगे। इस नई योजना का मुख्य उद्देश्य राज्य में वनवासियों को खुशहाल और वनांचल के गांवों को स्वावलंबी बनाना है।
योजना के तहत वनोपज प्रसंस्करण केन्द्रों की स्थापना
Establishment of Forest Produce Processing Units
इन्दिरा वन मितान योजना के तहत अनुसूचित क्षेत्रों के 85 विकासखण्ड में शुरू होने वाले वनोपज प्रोसेसिंग केन्द्रों के लिए 8 करोड़ 50 लाख रूपए की राशि खर्च की जाएगी। प्रत्येक केंद्र की स्थापना के लिये लगभग 10 लाख रुपए दिये जाएँगे। इन Processing Centers की मदद से वन में पैदा होने वाली सभी प्रकार की उपज का प्रसंस्करण किया जाएगा जिसको बेचने और मार्केटिंग का अधिकार समूहों के पास होगा। छत्तीसगढ़ सरकार ने हाल ही में शहीद महेन्द्र कर्मा तेन्दूपत्ता संग्राहक सामाजिक सुरक्षा योजना की भी शुरुआत की है जिसके तहत तेंदुपत्ता संग्राहक परिवारों को जीवन बीमा दिया जा रहा है।
इस योजना की अधिक जानकारी के लिए http://tribal.cg.gov.in/ पर जाएँ।
इंदिरा वन मितान योजना के लाभ
Benefits of Indira Van Mitan Yojana
छत्तीसगढ़ इन्दिरा वन मितान योजना के कुछ मुख्य लाभ इस प्रकार हैं।
वनवासियों के लिए रोजगार और स्वरोजगार के नए अवसर।
योजना के तहत बनाए जाने वाले समूहों को वन प्रबंधन के अधिकार।
वन समूहों के माध्यम से बिकने वाले वनोपज का सही मूल्य।
प्रत्येक विकासखण्ड में वनोपज प्रोसेसिंग यूनिट की स्थापना।
वनवासियों की आय बढ़ाने के लिए इमारती लकड़ी की बजाए फलदार और वनौषधियों का पौधरोपन।
लघु वनोपज की खरीदी और उनके समर्थन मूल्य में वृद्धि।
योजना से लगभग 5 से 6 लाख लोग जुड़ेंगे।
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