स्वामित्व योजना केंद्र सरकार के पंचायती राज मंत्रालय की ओर से शुरू की गई है। इसके तहत ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों को रिकाॅर्ड आफ राइट्स यानी संपत्ति के अधिकार के दस्तावेज देने के लिए प्राॅपटी कार्ड का वितरण किया जाएगा। इसका उद्देश्य यह है कि ग्रामीणों को संपत्ति के स्वामित्व का आधिकारिक दस्तावेज मिले। 11 अक्टूबर, 2020 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस योजना का डिजिटल शुभारंभ किया है। उन्होंने वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए इस योजना को लागू किया इस दौरान करीब एक लाख, 32 हजार भू संपत्ति स्वामियों ने अपने मोबाइल फोन पर एसएमएस के जरिये प्राप्त लिंक पर क्लिक कर प्राॅपर्टी कार्ड को डाउनलोड भी किया। अन्य स्थानों पर ग्रामीणों को फिजिकली यह कार्ड वितरित किए गए। जिन राज्यों में योजना का शुभारंभ किया गया है, उनके विभिन्न जिलों में प्रशासनिक अधिकारियों ने स्थानीय जनप्रतिनिधियों की मौजूदगी में कार्ड वितरण के कार्य को अंजाम दिया।
स्वामित्व योजना का उद्देश्य – The objective of the PM Swamitva Yojana
इस योजना का मकसद ग्रामीणों को सशक्त बनाना है। आपको बता दें कि खतौनी की तर्ज पर राजस्व गांवों की आबादी वाली जमीनों की घरौनी तैयार की गई है। इस घरौनी यानी ग्रामीण आवासीय अभिलेख में आवासीय संपत्ति का पूरा ब्योरा दर्ज होगा। जैसे कि संपत्ति के स्वामी का जिला, तहसील, ब्लाॅक, थाना, ग्राम पंचायत का नाम दर्ज होगा। ग्राम कोड और गांव के नाम का भी उल्लेख होगा। इसमें सर्वे का साल अंकित किए जाने के साथ ही संपत्ति की आबादी गाटा संख्या और भूखंड संख्या भी दर्ज की जाएगी। हर भूखंड का 13 अंकों की यूनिक आईडी संख्या का भी इसमें उल्लेख किया जाएगा। संपत्ति की श्रेणी या उपश्रेणी भी अंकित की जाएगी। आवासीय भूखंड का क्षेत्रफल, उसकी भुजाओं की संख्या और लंबाई भी घरौनी में दर्ज की जाएगी। साथ ही साथ चौहद्दी का भी उल्लेख रहेगा
घोषणा पीएम मोदी द्वारा 24 अप्रैल 2020
आरंभ तिथि 24 अप्रैल 2020
आवासीय संपत्तियों से जुड़े फर्जीवाड़े पर लगेगी रोक – आवासीय संपत्तियों से जुड़े फर्जीवाड़े बड़ी संख्या में होते हैं। कई भू माफिया फर्जी कागजात बनाकर जमीनों की खरीद-फरोख्त कर लेते हैं। अमूमन ग्रामीणों को इस फर्जीवाड़े का पता सब कुछ बर्बाद हो जाने के बाद ही चलता है। ग्रामीण अपनी संपत्ति के कागजों को लेकर जागरूक नहीं होते। कई बार तहसील में लेखपाल की मिलीभगत से उनकी जमीन को कम या अधिक भी दर्शा दिया जाता है। ऐसे में प्राॅपर्टी कार्ड पास रहने से उसे अपनी संपत्ति, अपने अधिकार की जानकारी रहेगी।
24 अप्रैल को की गई थी इस योजना की घोषणा –प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस योजना को शुरू करने की घोषणा 24 अप्रैल, 2020 को कर चुके थे। इस योजना को लागू 11 अक्टूबर किया गया है। इसके तहत देश के गांवों में लोगों को आवासीय जमीन का मालिकाना हक दिलाए जाने की बात कही गई है। इसके लिए नई तकनीकों मसलन ड्रोन आदि के जरिए जमीन की पैमाइश, मैपिंग आदि की तैयारी की गई। इसके बाद गांव के लोगों को संपत्ति के मालिकाना हक के कागज दिए जाने का फैसला किया गया।
ग्रामीण सशक्त बनेंगे, बैंक लोन ले सकेंगे –
आवासीय संपत्ति पर अधिकार के दस्तावेज हासिल होने से ग्रामीण सशक्त बनेंगे और बैंक लोन समेत तमाम वित्तीय सुविधाओं का लाभ ले सकेंगे। अभी तक कागज पूरे न होने, अपने नाम पर न होने और अन्य किसी कारण से ग्रामीण बैंक लोन ले पाने या अन्य वित्तीय सुविधा प्राप्त करने में सक्षम नहीं हो पा रहे थे। लोन न मिल पाने की वजह से जिन लोगों के पास अपनी पूंजी नहीं थी, वह कोई काम काज शुरू नहीं कर पा रहे थे। न ही आत्म निर्भर बन पा रहे थे। प्रापर्टी कार्ड आने के बाद बैंक लोन की सुविधा से उनकी यह समस्या दूर हो जाएगी, ऐसा समझा जा रहा है।
अपराधों में 60 फीसदी मामले भूमि विवादों के –उत्तर प्रदेश, बिहार आदि राज्यों में होने वाले अपराधों में 60 फीसदी से अधिक मामले भूमि विवादों से ही जुड़े होते हैं। बिहार में तो भूमि विवाद के मामलों को देखते हुए इनके निराकरण के लिए नए सिरे से सर्वे और सेटलमेंट का काम जारी है। खुद वहां के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार कहते हैं कि जमीन की कीमतें तेजी से बढ़ रही हैं, इसे देखते हुए जमीन से संबंधित विवादों का त्वरित निपटान आवश्यक है। माना जा रहा है कि यहां नए सर्वे सेटलमेंट से जहां जमीन संबंधी विवादों का निपटान होगा, वहीं फसलों की उत्पादकता भी बढ़ेगी। इससे समाज में अमन चैन का माहौल उत्पन्न होगा। मुख्यमंत्री ने लोक सेवा का अधिकार कानून एवं लोक शिकायत निवारण अधिकार कानून के अंतर्गत दाखिल खारिज और राजस्व से संबंधित लंबित मामलों की समीक्षा और उनके निपटान में तेजी के भी निर्देश दिए हैं। वहां लोगों के बीच भूमि सुधार और उसकी नियमावली प्रचारित करने पर भी जोर दिया जा रहा है। बिहार में चुनाव भी आसन्न है, ऐसे में वहां मुख्यमंत्री अपनी उपलब्धियों को बढ़ा चढ़ाकर भी गिना रहे हैं।
योजना शुरू करते हुए पीएम ने विपक्ष पर साधा निशाना –
प्रधानमंत्री स्वामित्व योजना को लागू करते हुए प्रधानमंत्री ने विपक्षियों पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा कि किसानों के बैंक खाते में सीधा कैसा पहुंचने से जिन्हें परेशानी हो रही थी वह आज बेचैन है। छोटे किसानों, पशुपालकों, मछुआरों को किसान क्रेडिट कार्ड मिलने से जिनकी काली कमाई बंद हो गई है उनको आज समस्या हो रही है। प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि गांव में रह रहे युवक अब अपनी संपत्तियों के आधार पर बैंक लोन ले सकेंगे और आत्म निर्भर बन सकेंगे। उन्होंने भूमि स्वामित्व के स्पष्ट अधिकार को भारत जैसे विकासशील देश के लिए आवश्यक बताया और साफ किया कि आने वाले तीन चार साल में हर परिवार को यह प्रापर्टी कार्ड मुहैया कराने की कोशिश की जाएगी।
पहले चरण में छह राज्यों के 763 गांवों को मिलेगा लाभ –
पहले चरण में प्रधानमंत्री स्वामित्व योजना के तहत छह राज्यों के 763 गांवों के लोगों को लाभ मिलेगा और इन्हें प्राॅपर्टी कार्ड वितरित किया जाएगा। दोस्तों, आपको बता दें कि जिन गांवों में यह कार्ड पहले चरण में वितरित किए जाने हैं, इनमें उत्तर प्रदेश के 346 गांव शामिल हैं, जबकि हरियाणा के 221, महाराष्ट्र् के 100, मध्य प्रदेश के 44, उत्तराखंड के 50 और कर्नाटक के दो गांव शामिल किए गए हैं। महाराष्ट्र् को छोड़कर अन्य राज्यों के लाभार्थियों को एक दिन के भीतर फिजिकल कार्ड वितरित किया जाएगा। इसके लिए अधिकांश जिलों में तैयारी भी हो चुकी है।
इन कार्यकमों में जन प्रतिनिधि भी शामिल रहेंगे। महाराष्ट्र् में कार्ड वितरण में इसलिए देरी होगी दोस्तों, क्योंकि यहां पर सरकार संपत्ति कार्ड के लिए सामान्य शुल्क लागू करने जा रही है। दोस्तों, आपको बता दें कि यहां कार्ड वितरण में एक माह से भी अधिक का समय लग सकता है।
इसके साथ ही आपको यह भी बता दें कि जिन राज्यों में पहले चरण में इस प्रोजेक्ट को लागू किया जा रहा है इनमें ज्यादातर भाजपा शासित राज्य हैं। हालांकि महाराष्ट्र् में शिवसेना की अन्य दलों के समर्थन से बनाई गई सरकार है, लेकिन वहां जैसा कि हम अभी ऊपर बता चुके हैं, इस योजना को लागू होने में समय लगेगा।
चार वर्ष में चरणबद्ध तरीके से लागू होगी योजना –
प्रधानमंत्री स्वामित्व योजना कोई एक-दो साल के लिए लाई गई योजना नहीं है। इस योजना को चार वर्ष में चरणबद्ध तरीके से क्रियान्वित किया जाएगा। यानी इसे 2024 तक पूरा किए जाने की योजना है। इसके अंतर्गत कुल 6.62 लाख गांवों को कवर किया जाएगा। पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर 2000-21 में में एक लाख से अधिक गांव वालों को इसके अंतर्गत लाए जाने की तैयारी है। मित्रों, आप यह भी जान लीजिए कि पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर कामयाब होने के बाद इस योजना को देश भर में लागू किया जाएगा।
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